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सरकार ने बदला कानून, भारी-भरकम जुर्माना देकर भी सजा से नहीं बच पाएंगे ‘बड़े’ टैक्स चोर

मुंबई
सरकार कुछ श्रेणी के टैक्स चोरों पर नकेल कसने में और कठोरता बरतने लगी है। जिन पर सरकार की सख्ती बढ़ी है, उनमें काला धन विदेशों में जमा करने वाले शामिल हैं। इस श्रेणी के करदाताओं को लिए कंपाउंडिंग यानी बड़ा जुर्माना देकर सजा से बचने की सुविधा खत्म कर दी है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने ‘कंपाउंडिंग ऑफ ऑफेंसेज डायरेक्ट टैक्स लॉज’ पर 30 से ज्यादा पन्नों का संशोधित दिशानिर्देश शुक्रवार को जारी किया। यह संशोधित दिशानिर्देश अब दिसंबर 2014 में जारी दिशानिर्देश की जगह ले चुका है।

ध्रुव अडवाइजर्स में पार्टनर संदीप भल्ला ने कहा, ‘सीबीडीटी की पहली गाइडलाइंस में अघोषित विदेशी खातों और विदेशी संपत्तियों से संबंधित अपराधों पर बड़ा जुर्माना भरने के बाद सजा से छूट पाने की अनुमति दी गई थी, बशर्ते टैक्सपेयर ने जांच में सहयोग किया हो और टैक्स चुका दे। उसके बाद 2015 का काला धन विरोधी कानून आया, जिसमें इसकी अनुमति नहीं दी गई। इस कानून में सीमित मौका दिया गया था जिसके तहत 30% ब्याज और बड़ा जुर्माना देकर सजा से बचा जा सकता था। लेकिन, संशोधित दिशानिर्देश में थोड़ी और कड़ाई बरती गई है और इसमें काला धन विरोधी कानून के तहत आने वाले अपराधों एवं अघोषित विदेशी खातों एवं संपत्तियों से संबंधित अपराधों, दोनों मामलों में कंपाउंडिंग (जुर्माना चुकाकर सजा से बचने) की अनुमति नहीं दी गई है।’ 

टैक्सपेयर ने दूसरों से टैक्स चोरी करवाई तो उसे भी कंपाउंडिंग की अनुमति नहीं

सीएनके ऐंड असोसिएट्स में टैक्स पार्टनर गौतम नायक ने कहा, ‘अगर यह साबित हो जाए कि किसी टैक्सपेयर ने दूसरों से टैक्स चोरी करवाई तो उसे भी कंपाउंडिंग की अनुमति नहीं मिलेगी। यही नियम उन करदाताओं पर भी लागू होगा जिन्होंने खरीद-बिक्री की झूठी पर्चियां बनाई हों या होटलों आदि में ठहरने का फर्जी बिल बनाई हो। बेनामी लेनदेन विरोधी कानून के तहत आने वाले अपराधों में भी जुर्माना भरकर सजा से छूट पाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।’ 

अप्रैल से नवंबर 2017 के आठ महीने की अवधि में हजारों मामलों में जुर्माना लेकर टैक्स चोरों को सजा से मुक्त कर दिया गया था। अब रिवाइज्ड गाइडलाइंस के आ जाने से अगले कुछ महीनों में अभियोजन के मामलों में बेतहाशा वृद्धि की संभावना है। संशोधित दिशानिर्देश में यह प्रावधान किया गया है कि सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर वित्त मंत्री को उचित लगे तो वह कंपाउंडिंग पर पाबंदी में ढील दे सकते हैं। 

 

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