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संविदा कर्मचारियों को बड़ा झटका, नौकरी से निकाला तो नहीं होगी कहीं भी सुनवाई

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार में संविदा नियुक्ति वालों को नौकरी से बाहर किए जाने के खिलाफ अपील का अधिकार नहीं है। संविदा कर्मियों के ऐसे आवेदन की किसी भी स्तर पर सुनवाई नहीं होगी। सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने इस संबंध में सभी विभागों के लिए स्पष्टीकरण जारी करते हुए इसके अनुसार कार्यवाही करने का निर्देश दिया है।

पूववर्ती सरकार के कार्यकाल में राज्य में बड़े स्तर पर संविदा नियुक्तियां हुई थी। राज्य में अब भी ब्लाक और जिला स्तर से लेकर मंत्रालय तक बड़े पैमाने पर संविदा वाले काम कर रहे हैं। इनमें करीब दो दर्जन से अधिक सेवानिवृत्त अफसर और कर्मी भी शामिल हैं।

भाजपा सरकार में प्रमुख सचिव और सचिव स्तर पर भी संविदा अफसरों को नियुक्ति दी गई थी। अफसरों के अनुसार अब धीरे-धीरे संविदा वालों की सेवा समाप्त की जा रही है। कई लोगों को संविदा अवधि खत्म होने से पहले ही बाहर किया जा रहा है। ऐसे लोग संविदा खत्म किए जाने के खिलाफ अपील कर रहे हैं। इसी वजह से जीएडी को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा है।

जीएडी का स्पष्टीकरण

GAD ने बिलासपुर संभाग के एक मामले को संज्ञान लेते हुए यह स्पष्टीकरण जारी किया है। अफसरों के अनुसार जनपद पंचायत सक्ती के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने एक संविदा महिला कर्मी को सेवा से बाहर कर दिया था। इसके खिलाफ महिला की अपील को बिलासपुर संभाग आयुक्त ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर सक्ती सीईओ के आदेश को निरस्त कर दिया। सरकार ने जब इस पर आयुक्त से सवाल किया तो उन्होंने अपने जवाब में बताया कि संविदा कर्मचारियों के संबंध में स्पष्ट जानकारी नहीं होने के कारण अपील को स्वीकार किया गया था।

जीएडी ने संविदा नियुक्ति नियम 2012 के आधार पर यह स्पष्टीकरण जारी किया है। विभाग ने कहा कि नियमानुसार समय से पहले संविदा अवधि खत्म किए जाने या संविदा अवधि नहीं बढ़ाए जाने के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती। भ्रम की वजह से कई विभागों में संविदा कर्मियों की ऐसी अपील स्वीकार कर ली जाती है। नियमानुसार इस पर विचार नहीं किया जाएगा।

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