रायपुरः बीजापुर के पत्रकार मुकेश चन्द्राकर हत्याकांड में स्पष्ट हो गया है कि पुलिस पूरे मामले में बड़े लोगों को बचाने में लग गई है। पीएम रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि मुकेश की जिस तरह से हत्या की गई वो केवल दो लोग मिलकर नही कर सकते। पीएम करनेवाले चिकित्सकों का कहना है कि उन्होंने अपने करियर में ऐसी हत्या नही देखी। चिकित्सकों का भी मानना है कि ऐसी हत्या केवल दो लोग मिलकर नही कर सकते।
अमानवीय यातना, वीभत्स हत्या
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मुकेश के शरीर में जख्म के कई निशान मिले हैं। मुकेश के लीवर के 4 टुकड़े हो गए थे। मुकेश की 5 पसलियां टूटी हई थी। मुकेश के सिर में 15 फ़्रैक्चर मिले हैं। मुकेश का हार्ट भी फट गया था और गर्दन टूटी मिली है। पीएम के बाद डॉक्टरों ने कहा कि उन्होंने अपने 12 वर्ष के करियर में ऐसी हत्या नही देखी है। पीएम रिपोर्ट करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा संभव नही है कि केवल दो लोग मिलकर ऐसी वीभत्स हत्या को अंजाम दे।
क्या पुलिस कर रही है सुरेश को बचाने की कोशिश
आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस के बयान पर गौर कीजिए। पुलिस द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि रितेश और महेन्द्र रामटेके ने मिलकर मुकेश की हत्या की और दिनेश चन्द्राकर ने शब को छुपाया। यानी पूरे मामले में मुख्य आरोपी सुरेश चन्द्राकर के लिए विधि सम्मत ऐसे रास्ते तैयार किए जा रहें है जिससे उसे कोर्ट से राहत मिल जाए।
क्या है आईपीएस और ठेकेदार का कनेक्शन
बताया जा रहा है कि जिले के पुलिस अधीक्षक रहें एक आईपीएस का भाई सुरेश चन्द्राकर का अपरोक्ष पार्टनर है। मौजूदा एसपी के भी सुरेश चन्द्राकार के साथ वायरल हो रहे तस्वीरों से स्पष्ट है कि मौजूदा एसपी के भी सुरेश चन्द्राकर के साथ बहुत मधुर संबंध थे। स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि एसपी ने शुरू में मुकेश को ढ़ुढ़ने में कोई दिलचस्पी भी नही ली। ऐसे में स्थानीय पुलिस की एसआईटी से सच सामने आएगा इसपर तो संदेश लाजिमी है।
हत्या के पीछे बड़ी शाजिश
पूरे घटनाक्रम में स्पष्ट है हत्याकांड को अंजाम पूरी तैयारी के साथ दी गई थी। हत्याकांड में सुरेश चन्द्राकर तो आगे था, लेकिन उसके पीछे कौंन कौन था यह स्पष्ट होना बाकी है। पुलिस भी उस दिशा में ठोस कार्यवाई करते नही दिख रही है। सुरेश चन्द्राकर और उसके परिवार की गिरफ्तारी भर से सब कुछ पूरा नही होता। हत्याकांड के पीछे की पूरी कहानी क्या बीजापुर पुलिस सामने ला पाएगी, जबकि पूरे घटनाक्रम में पुलिस की भूमिका संदेश के दायरे में है।