बड़ी खबर: IPS जीपी सिंह की हो सकती है गिरफ्तारी, सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी से हटाया रोक

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के निलंबित IPS जीपी सिंह को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. SC ने आय से अधिक संपत्ति मामले में जीपी सिंह गिरफ्तारी से रोक हटा दी है. इसके साथ ही आईपीएस पर चल रहे तीनों याचिकाओं पर हाईकोर्ट को 8 हफ्ते में सुनवाई करने को कहा है.
जीपी सिंह की तीन याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट से कुछ राहत मिली है. कोर्ट ने निलंबित ADG को दो मामलो में 8 हफ़्तों के लिए अंतरिम राहत देते हुए कठोर कार्रवाई पर रोक लगा दी है, हालांकि तीसरे मामले में राहत देने से इनकार करते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि ये मामला जब हाईकोर्ट में चल रहा है, तो हाई कोर्ट ही इसमें निर्णय लेगा. बता दें कि निलंबित ADG जीपी सिंह अवैध संपत्ति, जबरन वसूली और देशद्रोह के मामले में आरोपी है.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में बड़ी टिप्पणी की थी. CJI एनवी रमना ने कहा थी कि आप हर मामले में सुरक्षा नहीं ले सकते. आपने पैसा वसूलना शुरू कर दिया, क्योंकि आप सरकार के करीब हैं. यही होता है अगर आप सरकार के करीब हैं और इन चीजों को करते हैं तो आपको एक दिन वापस भुगतान करना होगा. जब आप सरकार के साथ अच्छे हैं, आप वसूली कर सकते हैं, लेकिन आपको ब्याज के साथ भुगतान करना होगा. यह बहुत ज्यादा हो रहा है. हम ऐसे अधिकारियों को सुरक्षा क्यों दें? यह देश में एक नया ट्रेंड है. उन्हें जेल जाना होगा. हालांकि टिप्पणी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में दर्ज तीसरी FIR पर भी जीपी सिंह को गिरफ्तारी पर अंतरिम संरक्षण दे दिया था और छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी छत्तीसगढ़ के निलंबित अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह की याचिका पर की, हालांकि फिलहाल उन्हें राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि पुलिस उन्हें चार हफ्ते तक राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार नहीं करेगी. इस संबंध में राज्य सरकार को नोटिस भी जारी किया गया है. अफसर को जांच में सहयोग करने को कहा गया है. दरअसल, IPS अफसर के खिलाफ IPC की धारा 124 A के तहत राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति के मामले दर्ज किए गए हैं. इस मामले में अफसर ने दो याचिकाएं दाखिल ही हैं. इनमें राजद्रोह के मामले को रद्द करने की मांग है और दूसरी में मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग है.
इस दौरान अफसर की ओर से फली नरीमन ने अदालत को बताया कि अफसर को सरकार द्वारा परेशान किया जा रहा है. वहीं छतीसगढ़ सरकार की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा कि चार्जशीट पिछले हफ्ते दाखिल की गई है. वो दो महीने से अंडरग्राउंड हैं. वो वरिष्ठ पुलिस अफसर हैं. फिर भी फरार हैं. उनके खिलाफ हिंदी में काफी सामग्री मिली है. ये याचिका निष्प्रभावी हो चुकी है. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह पर छतीसगढ़ पुलिस ने राजद्रोह का मामला भी दर्ज किया है.