नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग ( Election Commission,) को आधार कार्ड (Aadhar Card) और वोटर कार्ड (Voter Card) को लिंक करने के लिए निर्देशित किया है। इस विषय में चुनाव आयोग और केंद्रीय कानून मंत्रालय (Ministry of Law) के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई । चुनाव आयोग के प्रस्ताव पर कानून मंत्रालय ने भी सहमति दे दी है। इसके लिए सरकार चुनाव आयोग ( Election Commission,) को कानूनी शक्ति देगी। वोटर आईडी (Voter Card) को आधार से लिंक करने पर फर्जी वोटरों को हटाया जा सकेगा। साथ ही प्रवासी मतदाताओं को रिमोट वोटिंग अधिकार देने में आसानी होगी।
चुनाव प्रक्रिया में बड़े बदलाव की तैयारी:
आयोग ने बैठक में पेड न्यूज (paid news) और चुनावी हलफनामे में गलत सूचना देने को अपराध बनाने का भी प्रस्ताव दिया। कानून मंत्रालय चुनाव प्रक्रिया में बड़े बदलाव की तैयारी में है। इससे मौजूदा तरीका भी बदल जाएगा, जिसमें प्रवासी उस क्षेत्र में तब ही वोट कर सकता है जब वह वहां हो। आयोग ने कानून मंत्रालय को जनप्रतिनिधि ऐक्ट में संशोधन का प्रस्ताव दिया था। इसके तहत वोटर आईडी कार्ड बनवाने और मतदाता सूची में पहले से शामिल लोगों से आधार नंबर मांगने का प्रावधान होगा। कानून मंत्रालय ने प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए डेटा को मल्टीपल स्तर पर सुरक्षित करने के निर्देश दिए हैं।
अगस्त में भेजा था प्रस्ताव:
चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को अगस्त 2019 में वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक करने का प्रस्ताव भेजा था, जिसे कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मान लिया था। चुनाव आयोग ने कहा था कि 12 नंबर वाले आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को लिंक करने के लिए उसे कानूनी अधिकार चाहिए।
सभी को देना होगा आधार नंबर:
चुनाव आयोग ने कहा था कि फर्जी वोटरों पर लगाम लगाने के लिए सभी पुराने और नए वोटर कार्ड धारकों को अपना आधार नंबर देना होगा। हालांकि अगर कोई व्यक्ति ऐसा नहीं करता है तो भी उसका नाम वोटर लिस्ट से हटाया नहीं जा सकता है और न ही उसे लिस्ट में शामिल होने से रोका जा सकता है। लोगों को इसके लिए जागरूक किया जाएगा।