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महेंद्र कर्मा के पुत्र आशीष कर्मा को डिप्टी कलेक्टर बनाए जाने का विरोध, इस युवा ने कांग्रेस सरकार पर उठाए गंभीर सवाल

दिनेश गुप्ता, बीजापुर। सलवा जुडूम के अध्यक्ष रहे स्व. चिन्नाराम गोटा के पुत्र प्रकाश कुमार गोटा ने भूपेश केबिनेट के एक फैसले पर गंभीर सवाल उठाया है। प्रकाश गोटा ने प्रेस को जारी बयान में कहा है कि बीते दिन 2 मार्च को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा केबिनेट मीटिंग में एक प्रस्ताव पास किया गया जिसमे स्वर्गीय महेंद्र कर्मा के पुत्र आशीष कर्मा को सरकार द्वारा डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया है। सरकार का यह फैसला बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण और पढ़ेलिखे युवा बेरोजगारों के साथ बड़ा धोखा है।

उन्होने सवाल उठाया कि क्या महेंद्र कर्मा जी सरकारी नौकरी करते थे ? यदि नहीं तो फिर किस आधार पर सरकार ने यह फैसला लिया ? क्या आशीष कर्मा ने किसी प्रकार की परीक्षा पास की थी ? उन्होने कहा कि हम जानते हैं कर्मा जी ने पार्टी के लिए क़ुरबानी दी जो कि गर्व की बात है। लेकिन सरकार ने बिलकुल एक तरफ़ा फैसला लेकर हम जैसे लोगों पर चोट पहुंचने का काम किया है।

प्रकाश गोटा ने कहा कि मेरे पिता शहीद स्वर्गीय चिन्ना राम गोटा सलवा जुडूम के अध्यक्ष रहे। जनहित में काम किया, यही नहीं मेरे पिता पुलिस के साथ मिलकर नक्सलियों के खिलाफ 32 से ज्यादा मुठभेड किया। जिसमें 50 से ज्यादा नक्सलियों को जेल भेजा गया और करीब 30 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया जिसमें कमांडर रानू, डीसी संतोष, कमांडर गोविन्द सुरेश जैसे बड़े लीडर मारे गए। इसके बावजूद भी सरकार ने मेरे परिवार के किसी भी सदस्य को पढ़ाई के लिए कोई मदद नहीं की।

उन्होने कहा कि सुरक्षा के दृष्टि से बीजापुर में घर दिलाने का आश्वासन दिया था वो भी नहीं दिया गया। सरकार द्वारा नियमानुसार अनुकम्पा, नक्सल पीड़ित परिवार को दिया जाता है मेरे परिवार को चपरासी की नौकरी नशीब नही हुई। वहीं कांग्रेस के नेता महेंद्र कर्मा के पुत्र को डिप्टी कलेक्टर का पद दिया गया।

सरकार से सवाल पूंछते हुए गोटा ने कहा कि क्या गरीब व छोटे लोगों के बलिदान कोई कीमत नहीं होती, उनका कोई महत्त्व नहीं होता? क्या इसके लिए कांग्रेस का नेता होना जरुरी होता है? इस फैसले से छत्तीसगढ़ के युवा जो कलेक्टर का सपना देखते हैं उनके सपने को तोड़ दिया गया। मेरे पिता की गाड़ी को नक्सलियों ने बम से उड़ने की कोशिश भी की थी लेकिन असफल होते रहे। लेकिन 7 दिसंबर 2012 को नक्सलियों से लड़ते हुए शहीद हो गए।

प्रकाश गोटा ने कहा कि मेरे पिता द्वारा नक्सलियों के खिलाफ की गई कार्यवाही फरसेगढ़ थाना में दर्ज है। मेरे पिता ने अपने मेहनत का पैसा लगाकर नक्सलियों के खिलाफ कार्यवाही करते रहे। उन्होने दिन नहीं देखा रात नहीं देखी, बिना किसी सरकार के पैसे के 2006 से 2012 तक सेवा दी। इसके बाद भी सरकार हमको आगे बढ़ने में कोई मददी नहीं की। क्यांकि मेरे पिता कांग्रेस पार्टी के नेता नहीं थे।

इस तरह सरकार अपने शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है। ये कांग्रेस सरकार का दूसरा चेहरा आज जनता के सामने है। जनता इस कांग्रेस सरकार को माफ़ नहीं करेगी। सरकार से अनुरोध है की झीरम घाटी सहित नक्सल गतिविधियों में शहीद हुए बाकी आम शहीद परिवारां को भी बिना किसी भेदभाव के सम्मान दे ताकि किसी का बलिदान व्यर्थ न जाये।

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