नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा से डाकघर विधेयक, 2023 पारित कराया गया। इसमें 125 साल पुराने भारतीय डाकघर अधिनियम को निरस्त करने का प्रावधान किया गया है। साथ ही इस विधेयक के माध्यम से सरकार देश में डाकघरों से संबंधित कानून में कई अहम संशोधन भी करेगी। यह विधेयक संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में पेश किया गया था। विधेयक पर विचार के लिए चर्चा का जवाब केंद्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दिया।
राज्य सभा से पारित विधेयक का मकसद देश की डाक सेवाओं के महानिदेशक को बड़े अधिकार देने हैं। अब भारतीय डाक के महानिदेशकों के पास नियम बनाने के साथ-साथ सेवाओं के लिए शुल्क तय करने का अधिकार भी होगा। प्रस्तावित कानून के अनुसार नियमों और कानूनों में बदलाव के लिए केंद्र सरकार अधिसूचना जारी कर सकेगी।
केंद्र सरकार अधिसूचना जारी कर किसी भी अधिकारी को राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, सार्वजनिक व्यवस्था, आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में डाक से भेजे जा रहे सामान / पार्सल को रोकने या उसे खोलने का अधिकार दे सकती है।
विधेयक जब कानून की शक्ल लेगा तब किसी भी अधिकारी, जिसे केंद्र ने डाक विभाग के संबंध में नियुक्त किया हो, उसे डाक विभाग से भेजी गई किसी भी वस्तु को रोकने, खोलने या हिरासत में लेने का अधिकार होगा। किसी भी कानून के प्रावधान के उल्लंघन की घटना पर भी यह अधिकारी कार्रवाई कर सकेगा।
संसद में विधेयक पर बयान देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी ने बताया, इतने जटिल और विविधतापूर्ण समाज में वर्तमान समय बेहद कठिन है। उन्होंने सामान को रोकने या पार्सल पर पाबंदी के संबंध में प्रस्तावित कानूनी बदलावों पर कहा, अवरोधन बहुत महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए सरकार ने इस तरह का प्रावधान किया है।
सरकार के अनुसार, बीते 125 साल के दौरान डाकघरों से मिलने वाली सेवाओं में साधारण डाक / मेल भेजे जाने के अलावा काफी विविधता आ चुकी है। डाकघर के नेटवर्क की मदद से सरकार अब नागरिक-केंद्रित सेवाएं भी मुहैया करा रही है। ऐसे में 125 साल पुराने कानून को निरस्त करना जरूरी हो गया है। बता दें कि भारतीय डाकघर अधिनियम, को 1898 में मुख्य रूप से डाकघरों से मिलने वाली मेल सेवाओं के लिए लागू किया गया था।
भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 की जगह पर जो कानून बनेगा इसके माध्यम से देश में डाकघरों के कामकाज को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। नए कानून का मकसद डाकघरों को नागरिक-केंद्रित सेवाओं की डिलीवरी के नेटवर्क के रूप में विकसित करना भी है। इन सुविधाओं के लिए सरल कानूनी ढांचा तैयार करने का प्रस्ताव किया गया है।