रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों के हित में आवाज उठाते पत्र में लिखा कि, अन्नदाता की खुशहाली के बिना देश की खुशहाली की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ऐसे में अन्नदाता को हर हालत में उसके द्वारा उत्पादित फसलों का लाभदायक मूल्य दिया जाना चाहिए और इसके लिये हर संभव उपाय किये जाने की जरुरत है। उनके समाधान के लिए सीएम बघेल ने प्रदेश के सभी सांसदों, कृषकों, सभी दलों के जनप्रतिनिधियों, कृषि विशेषज्ञों, कृषि विपणन विशेषज्ञ एवं कृषि आधारित उद्योगों से जुड़े प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत चर्चा पर जोर दिया।
बता दें कि सीएम भूपेश बघेल ने आज सांसदों को पत्र लिखने से पहले पीएम नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखी है. सीएम ने लिखे पत्र में सांसदों से अपील की है कि संसद में उनकी सक्रिय और सशक्त उपस्थिति प्रदेश की जनता के उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
सीएम बघेल ने छत्तीसगढ़ के लोकसभा सांसद सुनील सोनी, विजय बघेल, संतोष पांडेय, रेणुका सिंह, ज्योत्सना चरणदास महंत, दीपक बैज, मोहन मंडावी, गुहाराम अजगल्ले, गोमती साय, अरूण साव एवं चुन्नीलाल साहू तथा राज्यसभा सांसद केटीएस तुलसी, छाया वर्मा, फूलोदेवी नेताम, सरोज पांडेय एवं रामविचार नेताम को पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने कहा है कि अन्नदाता की खुशहाली के बिना देश की खुशहाली की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ऐसे में अन्नदाता को हर हालत में उसके द्वारा उत्पादित फसलों का लाभदायक मूल्य दिया जाना चाहिए और इसके लिये हर संभव उपाय किये जाने चाहिये। इसके समाधान के लिए उन्होंने कृषकों, सभी दलों के जनप्रतिनिधियों, कृषि विशेषज्ञों, कृषि विपणन विशेषज्ञ एवं कृषि आधारित उद्योगों से जुड़े प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत चर्चा पर जोर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि, चालू खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में भारतीय खाद्य निगम द्वारा छत्तीसगढ़ से 61.65 लाख मीट्रिक टन अरवा चावल लेने का निर्णय लिया गया है जब कि पूर्व वर्षों में राज्य से अधिकांशतः उसना चावल ही लिया जाता रहा है क्योंकि राज्य में उत्पादित धान से अधिकतर उसना क्वालिटी का चावल बनता है। वर्तमान में प्रदेश में उसना के 418 पंजीकृत मिलर हैं, जिनकी मासिक मिलिंग क्षमता 5.95 लाख मीट्रिक टन है। यदि एफसीआई द्वारा उसना चावल नहीं लिया जाता, तो मासिक मिलिंग क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं होने से धान के निराकरण में विलंब होगा। इससे धान के खराब होने की स्थिति निर्मित होगी, जो कि प्रदेश के साथ ही अनाज की राष्ट्रीय क्षति होगी। इसके साथ ही उसना मिलों में काम करने वाले हजारों मजदूर बेरोजगार हो जायेंगे। देश के अन्य कई राज्यों से उसना चावल लिया जा रहा है। उन्होंने मांग रखी है कि छत्तीसगढ़ को भी कम से कम 24 लाख मीट्रिक टन उसना चावल एफसीआई द्वारा लेने का लक्ष्य दिया जाए। साथ ही मुख्यमंत्री बघेल ने सांसदों को अपनी ओर से छत्तीसगढ़ से जुड़े कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण एवं समीचीन विषयों को लेकर केंद्रीय वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र से भी अवगत कराया है। इस पत्र में उल्लेखित महत्वपूर्ण बिन्दुओं को भी संसद सत्र के दौरान उठाने की अपील मुख्यमंत्री ने सांसदों से की है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ओर से केन्द्रीय वित्तमंत्री को लिखे पत्र में प्रमुख रूप से राज्य के हित के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने की मांग की गई है। इसके अलावा राजस्व घाटा अनुदान के मापदंडों को वर्तमान परिस्थितियों के आधार पर सुधार करने की मांग भी की गई है। वहीं, जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान को जून 2022 के पश्चात भी आगामी 5 वर्षों के लिए और जारी रखे जाने, कोल ब्लाक आबंटन के निरस्तीकरण से छत्तीसगढ़ को देय 4140 करोड़ रूपये की राशि की मांग, धान से बायो एथेनॉल बनाने की अनुमति शीघ्र देने का अनुरोध, केंद्र द्वारा पेट्रोल एवं डीजल पर सेस में कमी करने की मांग, केंद्रीय योजनाओं में केंद्रांश बढ़ाने की मांग शामिल है।
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय वित्त मंत्री को पत्र में लिखा है कि राज्य को वैधानिक अधिकार होने के बाद भी विभिन्न कारणों से वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। राज्य के गरीबों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं एवं समाज के अन्य वर्गों के कल्याण हेतु चलाई जा रही योजनाओं का क्रियान्वयन संभव नहीं हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय वित्त मंत्री से राज्य के न्यायिक हितों के अनुरूप राज्य को वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक कार्यवाही करने की अपील की है।