बिलासपुर- बिलासपुर स्थित स्काई अस्पताल का एक ऐसा मामला सामने आया है जहाँ एक डॉक्टर ने ही दूसरें डॉक्टर का अपहरण कर लिया. मिली जानकारी के अनुसार है एक छोटे से विवाद को लेकर आरोपियों ने इस बड़ी घटना को अंजाम दिया है.
दरअसल, स्काई अस्पताल के संचालक डॉ. प्रदीप अग्रवाल को वहीं के पूर्व दो डॉक्टरों और कर्मचारियों ने रविवार को अगवा कर लिया। आरोपी डॉक्टर उनको कार से UP ले गए। इस बीच आरोपियों की पहचान हुई तो वे प्रदीप अग्रवाल को दिल्ली एयरपोर्ट पर छोड़कर भाग निकले। वहां से संचालक को लेकर पुलिस मंगलवार को लौटी है। बताया जा रहा है कि विवाद कोरोना काल में हुई कमाई के कमीशन को लेकर था। पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही है।
संचालक के गायब होने के बाद शहर के एक व्यक्ति ने उन्हें कॉल किया तो रिसीव ही नहीं हुआ। थोड़ी देर बाद मोबाइल पर मैसेज आया कि भैया अभी बात नहीं कर सकते। साले के यहां इनकम टैक्स का छापा पड़ा। फ्री होकर बात करेंगे।
पुलिस के अनुसार बिलासपुर में उनका कोई साला नहीं रहता है। ऐसा मैसेज किसी ने उनसे जान बूझकर भ्रमित करने के लिए लिखवाया है।
अस्पताल के संचालक डॉ. प्रदीप अग्रवाल की कार अस्पताल के करीब ही मिली थी। इसमें चाबी लगी हुई थी। गायब होने के बाद उन्होंने स्टाफ को फोन कर गाड़ी ले जाने के लिए कहा था। यह भी बताया था कि उनकी कार में चाबी लगी हुई है। फोन आने पर अस्पताल का स्टाफ गाड़ी लेकर आ गया था। इसके बाद से उनका कुछ पता नहीं चल रहा था। परिजनों ने गुमशुदगी दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस टीमें उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश भेजी गईं।
CCTV फुटेज में हुई आरोपियों की पहचान
ASP साइबर सेल निमेष बरैया ने बताया कि संदेह के आधार पर अस्पताल की एक नर्स से पूछताछ की गई थी। इसके बाद उसे CCTV फुटेज दिखाई गई। इसे देखकर नर्स ने आरोपियों की पहचान कर ली। इसमें अस्पताल में पहले काम कर चुके दो डॉक्टर और तीन कर्मचारी शामिल थे। पहचान सामने आने के बाद पुलिस का दबाव बनता देख आरोपी मंगलवार सुबह करीब 6 बजे दिल्ली एयरपोर्ट पर प्रदीप अग्रवाल को छोड़कर भाग निकले।
प्रैक्टिस करने के लिए आये थे छत्तीसगढ़
बताया जा रहा है कि आरोपी डॉक्टर मूल रूप से मुरादाबाद के रहने वाले हैं। कोरोनाकाल के दौरान वे प्रैक्टिस करने दिल्ली की एक एजेंसी के माध्यम से बिलासपुर पहुंचे थे। यहां स्काई अस्पताल में प्रैक्टिस कर रहे थे। कोरोनाकाल में हुई कमाई के बाद से ही उसके कमीशन को लेकर अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों के बीच विवाद चल रहा था। इस मामले में CMO और अन्य अफसरों से शिकायत भी की गई थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला था।