
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का शुभारंभ करते हुए कहा कि जो प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं, उन्हें हमें बचाना है। इसके लिए जनजातीय भाषा, संस्कृति और सभ्यता के संरक्षण और संवर्धन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का पहली बार आयोजन हो रहा है। यह आयोजन सांस्कृतिक दृष्टि से अन्य समाजों और जनजातीय समाज के बीच निश्चित रूप से सेतु का काम करेगा।
सीएम भूपेश बघेल ने जुटे जनजाति साहित्य पर लिखने वाले विद्वानों, साहित्यकारों व आदिवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि पहले लोग नक्सली डर से छत्तीसगढ़ आने से डरते थे लेकिन यह डर अब खत्म हो गया है।
सीएम ने कहा, आदिवासी को मुख्य धारा में लाने में यह महोत्सव सेतु का कार्य करेगा और आदिवासियों को जंगल, जमीन, शिक्षा का अधिकार दिलाएंगे। इसके अलावा रोजगार, स्वास्थ्य में फोकस करना है। भाषा, संस्कृति को सहेजने की जरूरत है। कार्यक्रम के दौरान पांच साल की आदिवासी बालिका ने फटका, गमछा मुख्यमंत्री को पहनाया। मुख्यमंत्री ने उसे गोद में उठाकर बच्ची को स्नेह देकर पप्पी ली।
10 राज्यों के विद्वानों का संगम में जनजातियाें के विकास पर शोध पत्र प्रस्तुत किया जाएगा। छत्तीसगढ़ में जनजातियों के समग्र विकास के लिए प्रदेश सरकार ने जनजातीय साहित्य महोत्सव आयोजित किया है। तीन दिवसीय इस महोत्सव में छत्तीसगढ़ समेत झारखंड, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मेघालय, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, अरुणांचल प्रदेश और कर्नाटक से विद्वान एवं प्रतिष्ठित साहित्यकार जानकारी देंगे।