कोल माइंस में रोजगार की मांग को लेकर ग्रामीणों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, एनजीओ पर लगाया ग्रामीणों को भड़काने का आरोप
अम्बिकापुर/रोमी सिद्दीकी। परसा कोल ब्लॉक में नये कोल माइंस के लिए भूमि अधिग्रहण होने व 1वर्ष बीतने के बाद भी प्रभावित ग्रामीणों को नौकरी नहीं मिलने कि शिकायत को लेकर ग्रामीण सरगुजा मुख्यालय के अंबिकापुर स्थित कलेक्ट्रेट पहुंचे. जहां उन्होंने जनदर्शन में कलेक्टर सरगुजा को ज्ञापन सौंपा व इस संबंध में उचित कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों ने बिना नाम लिए कुछ एनजीओ पर आरोप लगाया है कि वह कोल माइंस प्रभावित क्षेत्र ग्रामीणों को भड़का कर नये कोल माइंस शुरू होने नहीं दे रहे हैं। उनका कहना है कि नए कोल माइंस शुरू होने से क्षेत्र के ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध होगा। हलांकि परसा कोल ब्लाक खुले लगभग 7-8 वर्ष हो गए हैं लेकिन अब तक प्रभावित क्षेत्र के कितने ग्रामीणों को कोल कंपनी के द्वारा क्या रोजगार मुहैया कराया गया है. यह अब तक अज्ञात है।
बहरहाल ग्रामीणों के द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के पार्षद कोल ब्लॉक हेतु सरगुजा एवं सूरजपुर जिले के तहसील उदयपुर प्रेम नगर के ग्राम साल्ही ,जनार्दनपुर ,फतेहपुर, हरिहरपुर ,तारा एवं घाटबर्रा में भूमि अधिग्रहण किया गया है उक्त परियोजना को जल्द से जल्द चालू करने के उद्देश्य हेतु ग्राम वासियों ने अपने अधिग्रहित निजी भूमि के बदले निर्धारित मुआवजा राशि प्राप्त कर लिया है तथा पुनर्वास एवं पुनर्वासथापन योजना के तहत प्रयोजन रोजगार के विकल्प का चुनाव किया है हमने परियोजना के विकास के लिए हर तरह का सहयोग किया है जिससे हम ग्रामीणों रोजगार मुहैया हो व रोजगार मिल सके व वाहा के ग्रामीण क्षेत्र का विकास हो सके। ग्रामीणों ने यह भी कहा है बाहर के लोगों के द्वारा जिसमें कुछ एन जी ओ के कार्यकर्ता क्षेत्र के ग्रामीणों को बाला फुसलाकर खदान खुलने नहीं दिया जा रहा है जिससे वे अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति कर रहे हैं जिसे ग्रामीणों का भविष्य अंधकार हो गया है। खदान के लिए भूमि अधिग्रहण होने कारण अब वे उस भूमि पर खेती नहीं कर सकते ऐसी स्थिति में उनके सामने आर्थिक समस्या उत्पन्न हो रही है।
अब तक कितनो को मिला है रोजगार…
क्षेत्र के प्रभावित ग्रामीणों के द्वारा रोजगार की मांग को लेकर जो ज्ञापन सौंपा गया है उससे अब एक नया प्रश्न उठ रहा है कि पिछले 7- 8 वर्षों से जिस प्रकार से राजस्थान विद्युत निगम के द्वारा कोयला उत्खनन किया जा रहा है ऐसे में उस क्षेत्र के विकास के लिए व क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों के लिए किस प्रकार की रोजगार की व्यवस्था की गई है इसकी जानकारी सरगुजा वासियों को देनी चाहिए हालांकि कोयला उत्खनन करने वाली कंपनी आज तक ग्रामीणों को रोजगार देने के संबंध में कोई भी जानकारी ना तो स्थानीय मीडिया को दी है ना ही किसी समाज सेवी संस्था को ऐसे में स्पष्ट होता है कि कोयला उत्खनन करने वाली कंपनी जनहित से जुड़े जानकारी को सर्वजनिक करने में परहेज हैं जिससे आम सरगुजा वासियों के मन मस्तिष्क में कई सवाल हैं उठ रहे हैं? लेकिन राजनैतिक दोगलापन के कारण सरगुजा वासियों के हित में पानी फिर रहा है।
पर्यावरण का क्या है हाल….
आम सरगुजा वासियों को यह भली-भांति जानकारी है कि उदयपुर क्षेत्र में कभी घन घोर जंगल हुआ करता था लेकिन कोयले की भूखी के आगे आज ये जंगल धूल उड़ते मैदान में तब्दील हो चुके हैं हजारों लाखों नहीं करोड़ों पेड़ कट चुके हैं। इसकी पूर्ति शायद भविष्य में कभी ना हो सके क्योंकि प्राकृतिक की गोद में बसे जंगल को दुबारा उगाने का दम शायद किसी में नहीं होता हैं लेकिन एक प्रयास तो होता हैं क्या कोयला उत्खनन करने वाली कंपनी पेड़ लगाने का कोई प्रयास की है इसकी भी जानकारी आम सरगुजा वासियों को शायद ही होगा। क्योंकि कोयल माइंस में आम आदमी का प्रवेश वर्जित होता है ऐसे में आम सरगुजा वासियों को क्या जानकारी होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
बहरहाल, आम सरगुजा वासियों को चाहिए कि संभाग में जितने भी कोल माइंस हैं. उनके के द्वारा बेहिसाब प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जा रहा है क्योंकि उनको इसका लाइसेंस प्राप्त हैं लेकिन इस लाइसेंस को प्राप्त करने से पहले वह राज्य सरकार से एक करार भी करते हैं उसमें स्थानीय विकास, रोजगार संबंधित कोई नियम होते हैं जिसका पालन करने के लिए वे बाधय होते हैं लेकिन उन नियमों को ना तो जिला प्रशासन आम जनता के सामने सार्वजनिक करता है है ना ही कोयला उत्खनन करने वाली कंपनी ऐसे में भ्रष्टअधिकारियों व दोगले राजनीतिज्ञों के कारण क्षेत्र का विकास ठप हो जाता है और फायदा उठाते हैं कंपनियां।