स्मार्ट सिटी की स्मार्ट स्ट्रीट लाइट, बूंदाबांदी से हो जाती हैं बंद, शाम होते अंधेरे में डूब जाती हैं सड़कें, शहर के इस इलाके में तो और भी बुरे हालात!

राजधानी/ हिमांशु पटेल- राजधानी रायपुर को स्मार्ट बनाने नगर निगम और स्मार्ट सिटी द्वारा तमाम प्रयास और कई बड़े बड़े दावें खोखले साबित होने लगी है.स्मार्ट सिटी के नाम पर रायपुर नगर निगम को पुरस्कार तो मिले लेकिन गली मोहल्ले में छाया अंधकार आज भी दूर नहीं हो सका है। राजधानी के पंडरी इलाके से कुछ दिन पहले ही बस स्टैंड को भाठागांव शिफ्ट किया गया है। अब अंधेरा होने की वजह से वहां शाम होते ही असामाजिक तत्वों का जमावड़ा होने लगता है। लूटपाट,छेड़छाड़ जैसे घटनाएं वह होने लगी है।
बता दें बस स्टैंड से लगा प्रदेश का सबसे बड़ा पंडरी कपड़ा मार्केट है। जहां सैकड़ों महिलायें और लडकियां वहां काम करती है। पुराने बस स्टैंड परिसर में ही कॉलेज और कोचिंग क्लासेस संचालित होती है। वहाँ से गुजरने वाली महिलाओं और आम लोगों के लिए अंधेरा अब खतरा बनने लगा है। शाम होते ही वहां शरारती तत्वों द्वारा लूटपाट और छेड़खानी जैसे घटनाओं को अंजाम देने लगे है। इस अव्यवस्था को लेकर अब महिलाएं खुद उस रस्ते पर गुजरने पर असुरक्षित महसूस करती है। पुराने बस स्टैंड की स्ट्रीट लाइट बंद होने की वजह से वह चारों ओर अँधेरा व्याप्त है। जो कही ना कही नगर निगम और प्रशासन की लापरवाही का जीता जागता उदहारण है।
पंडरी कपड़ा मार्केट में काम करने वाली महिलाओं और लड़कियों ने अपनी सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठाए हैं। कपड़े की दुकान में काम करने वाली एक लड़की ने बताया कि बस स्टैंड परिसर में स्ट्रीट लाइट बंद होने की वजह से शाम को अंधेरा छा जाता है। घर जाते समय कुछ असामाजिक तत्वों के द्वारा छेड़खानी जैसी घटनाएं भी उनके साथ हुई है, जिससे लड़कियां काफी असुरक्षित महसूस कर रही हैं। उनका कहना है कि अंधेरा होने की वजह से उन्हें घर जाने में डर लगता है और साथ ही साथ हमारी सुरक्षा को लेकर घरवालों की चिंता बनी रहती है।
बस स्टैंड परिसर में पगारिया काम्प्लेक्स में दुकान संचालित करने वाले व्यापारियों ने बताया कि पिछले 8-10 दिनों तक पंडरी कपड़ा मार्केट की स्ट्रीट लाइटें बंद है, जिससे वहां पर शाम होते ही अंधेरा छा जाता है और अंधेरे का फायदा उठाकर वहां कुछ असामाजिक तत्वों का जमावड़ा भी होने लगा है जिससे वहां सुरक्षा को लेकर प्रश्नचिन्ह उठने लगा है। हमारी दुकानों में लड़कियां काम करती हैं जो शाम छुट्टी होने के बाद घर जाते समय असहज और असुरक्षित महसूस करती हैं।
उन्होंने बताया कि जब यहाँ बस स्टैंड संचालित होता था तो लाइट अउ लोगों लोगों की चहल पहल रहती थी,लेकिन अब यहाँ अंधेरा भी है और सूनसान भी। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द पंडरी बस स्टैंड परिसर में स्ट्रीट लाइट लगवाने का काम पूरा करें। हमारी दुकान में काम करने वाली महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है, इसलिए इनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन द्वारा जल्द ही कोई उपाय किए जाएं।
दावे की खुली पोल…
राजधानी रायपुर को स्मार्ट बनाने के दावे रायपुर नगर निगम के द्वारा कहीं ना कहीं अब खोखले साबित होते दिखाई दे रहे हैं। एक ओर जहां स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं और महिलाओं को आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाने के कई प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन पंडरी बस स्टैंड परिसर में छाया हुआ अंधेरा और महिलाओं में असुरक्षा की भावना कुछ और ही बयां कर रही है। आखिर अनहोनी होने पर जिम्मेदार कौन???
वही बात की जाए पुलिस सुरक्षा की तो आस पास के लोगो का कहना है कि अंधेरा होते ही शराब खोरी,अडडेबाजी शुरू हो जाती है पेट्रोलिंग की बेहद आवश्यकता है. समय-समय पर पेट्रोलिंग होने से यह हालात नहीं बनेंगे. कहीं ना कहीं पुलिस पेट्रोलिंग नही होने से बदमाशो के हौसले बुलन्द है।