रायपुर। भारतीय जनता पार्टी बिरगांव चुनाव में होने वाली हार के लिए अभी से बहाने की पटकथा तैयार करने में लगी है। प्रदेश कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के बिरगांव निगम के प्रभारी अजय चंद्राकर समझ चुके है कि बिरगांव में भारतीय जनता पार्टी बुरी तरह चुनाव हारने जा रही है इसीलिए वे मतदान के पहले ही भाजपा के हार लिए ठोस बहाने बनाने लगे हैं।
बिरगांव में जिस मतदाता सूची के आधार पर मतदान होने जा रहा उसी मतदाता सूची के आधार पर 2018 का विधान सभा चुनाव हुआ था तथा 2019 का लोक सभा चुनाव भी उसी मतदाता सूची के आधार पर हुआ था। तब बिरगांव में भाजपा की महापौर थी राज्य में सरकार भी भाजपा की थी। वर्तमान निगम चुनाव के पहले नई मतदाता सूची नहीं बनाई गई है ।हर चुनाव के पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण का काम होता है। मतदाता सूची का प्रारंभिक प्रकाशन किया जाता है ,जिसमे दावा आपत्ति मंगवाया जाता है ।इसके बाद मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होता है। मतदाता सूची में अजय चंद्राकर जिस गड़बड़ी का दावा कर रहे है वह सत्य है तो दावा आपत्ति के समय भारतीय जनता पार्टी ने उसमें आपत्ति क्यो नहीं लगाया था?
सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि पहले निगम में मकान नम्बर नहीं होता था अमूमन लोग परिचय कर्ता या मकान मालिक के पते पर भी नाम दर्ज करवाते है। अजय चंद्राकर जिस एक मकान के पते पर 130 नामो के होने का झूठा दावा कर रहे उस पते पर सिर्फ 40 मतदाता ही है वे सब वहां भौतिक रूप से वर्षो से निवास करते हैं।बिरगांव निगम के उरकुरा रावा भाठा में आज भी ऐसे दर्जनों संयुक्त परिवार है जहाँ एक घर मे बीस तीस चालीस मतदाता हैं।
सुशील आनंद शुक्ला ने कहा की पूर्व मंत्री एवं विधायक अजय चंद्राकर के आचरण और बयानों से स्पष्ट है उनको ऐसा लग रहा कि हारी हुए निगम का उनको प्रभारी बना कर उनकी राजनीति को समाप्त करने का षड्यंत्र उनकी ही पार्टी में किया गया है। बिरगांव में मिली जिम्मेदारी का बेहतर तरीके से निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं उल्लू जुलुल बयानबाजी कर सुर्खियों में बना रहना चाहते हैं अजय चंद्राकर कभी धमकी देते हैं कि बिरगांव निगम क्षेत्र में आने वाला जिंदा नहीं जाएगा, कभी कहते हैं कि मतदाता सूची में गड़बड़ीयां है वे समझ ही नही पा रहे क्या करे क्या क्या कहे ।बिरगांव के भाजपा कार्यकर्ता अपने प्रभारी के व्यवहार से दुखी है उनका कहना है जो दो तीन वार्ड भाजपा जीतती अजय चंद्राकर के प्रभारी बनने से उसकी सम्भावनाये भी खत्म हो गयी हैं।