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छत्तीसगढ़ः सरकार की छबि चमकानेवाले ही आखिर क्यों हो गए सरकार से नाराज? क्या है पृष्ठभूमि?

रायपुरः राज्य के मुखिया भूपेश बघेल के लिए अतिमहत्वपूर्ण समय में राज्य सरकार और मुख्यमंत्री की छबि चमकानेवाले जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने राज्य बनने के बाद पहलीबार शासन के फैसले के विरूद्ध में न केवल काली पट्टी लगाकर विरोध प्रदर्शन किया बल्कि मंगलवार से अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल पर जाने की भी घोषणा कर दी है। आखिर राज्य के मुख्यमंत्री के विभाग के अफसर सरकार के फैसले से इतने नाराज़ क्यों हो गए? वो भी तब जब मुख्यमंत्री के सलाहकारों में दो वरिष्ठ पत्रकार शामिल है जो जनसंपर्क विभाग की भूमिका को बखूबी समझते है।

क्या है मामला?
मौजूदा मामला नए डीपीआर की पदस्थापना से जुड़ा हुआ है। राज्य सरकार ने हाल में राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सौमिल रंजन चौबे को नए संचालक के रूप में डीपीआर की जिम्मेदारी दी है जिसका जनसंपर्क अधिकारी संघ विरोध कर रहा है। जनसंपर्क अधिकारी संघ का कहना है कि डीपीआर का पद अखिल भारतीय सेवा संवर्ग के वरिष्ठ अधिकारी का पद है जिसपर राज्य प्रशासनिक सेवा के ऐसे अधिकारी की पदस्थापना की गई है जो जनसंपर्क के कई अधिकारियों से भी जुनियर हैं और इसी लिए जनसंपर्क अधिकारी संघ को उनकी पदस्थापना स्वीकार्य नही है।

विरोध में उतरने की पृष्ठभूमि
लेकिन मामला केवल इतना ही नही है। दरअसल जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों की मौजूदा नाराजगी आज की नही है। इसकी पृष्ठभूमि मौजूदा सरकार ने 2018 में उसी समय बना दी थी जब मौजूदा सरकार ने जनसंपर्क और संवाद के कार्यों पर जांच बिठा दी थी जिसमें जनसंपर्क और संवाद के अधिकारी आजतक फंसे हुए है और उनका कंरियर प्रभावित हो रहा है। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिन कार्यों को लेकर मौजूदा सरकार ने 2018 में जनसंपर्क और संवाद के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआऱ कराई थी वे बहुत की सामान्य किस्म के कार्य थे जो आज भी उसी तरह से होते है या यूं कहे कि उसके बिना जनसंपर्क का काम संभव ही नही है।

जनसंपर्क का काम अन्य विभागों से अलग है
दरअसल जनसंपर्क विभाग का काम अन्य विभागों से बिल्कुल अलग है। यहां सैकड़ो काम ऐसे होते है जो पहले करा लिए जाते है और उस काम के लिए बाद में प्रशासनिक स्वीकृति लेकर कार्यादेश जारी किए जाते है। लेकिन इसी आधार पर 2018 में न केवल जांच बिठाई गई और अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर कराए गए बल्कि 5 और 6 अक्टूबर 2018 को जारी कार्योदेशों का भूगतान सरकार ने आजतक रोके रखा है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि- “ आप बताईये कि 5 और 6 अक्टूबर के डेट में केवल संवाद ने ही कार्यादेश जारी किया था? राज्य सरकार के अन्य विभाग ने नही? और राज्य सरकार द्वारा यदि सभी विभागों द्वारा 5 और 6 अक्टूबर 2018 को जारी कार्यादेश का भूगतान कर दिया गया तो संवाद का भूगतान क्यों रोका गया? आप मीडिया संस्थानों का पैसा रोक लेंगे।। उन्हें नाराज कर देंगे और हमसे कहेंगे कि आप सरकार की छबि चमकाओं तो आखिर ऐसा कैसे होगा? ”

हमारी पीड़ा कोई नही सुनता
जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कहने को तो वे राज्य के मुख्यमंत्री के विभाग में काम करते है और मुख्यमंत्री के करीब रहते है लेकिन उनकी सुननेवाला कोई नही है। अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने पांच अक्टूबर को ही राज्य के मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपकर अपने विरोध और पीड़ा से अवगत करा दिया था लेकिन आज दिनांक तक उस विषय पर कोई ध्यान नही दिया गया जिसके बाद संघ को आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ा।

संघ का कहना है कि जनसंपर्क विभाग में पीएससी के द्वारा चयनित करीब 20 वरिष्ठ अधिकारी है जो वरिष्ठता क्रम में मौजूदा डीपीआर से उपर है। जनसंपर्क अधिकारी संघ का कहना है कि उनलोगों ने दिनांक 25.08.21 को तत्कालिन आयुक्त सह संचालक, जनसंपर्क को लिखे पत्र में जनसंपर्क तथा संवाद में की जा रही नियम-विरुद्ध पदस्थापनाओं के संबंध में ध्यान आकर्षित करते हुए, इसका विरोध किया था। पत्र की प्रतियां मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, सचिव जनसंपर्क विभाग और मुख्य कार्यपालन अधिकारी छत्तीसगढ़ संवाद को भी प्रेषित की गई थीं। जिसके बाद पत्र को मुख्यमंत्री सचिवालय ने संज्ञान में लेकर सचिव, जनसंपर्क विभाग, छत्तीसगढ़ शासन को आवश्यक कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया था। किंतु इसी दौरान पुनः 06.10.2021 को नियम विरुद्ध डीपीआर की नियुक्ति कर दी गई जिससे वे आंदोलन करने पर मजबूर हो गए।

क्या है मांग?
जनसंपर्क अधिकारी संघ ने मांग की है कि संचालक जनसंपर्क के पद पर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की नियुक्ति के स्थान पर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों में से किसी एक को पदस्थ किया जाए और छत्तीसगढ़ संवाद में जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों की प्रतिनियुक्तियों के पदों पर राज्य प्रशासनिक सेवा एवं अन्य संवर्ग के अधिकारियों के स्थान पर पूर्व में लिए गए मंत्रिपरिषद के फैसले के अनुरूप जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों की ही पदस्थापना की जाए।
हांलाकि मौजूदा स्थिति को देखते हुए राज्य के मौजूदा जनसंपर्क आयुक्त दीपांशु काबरा ने सोमवार को जनसंपर्क अधिकारी संघ के प्रतिनिधियों से चर्चा कर उन्हें मामले का सम्मानजनक हल निकालने का भरोसा दिलाया है। जिससे अधिकारियों को यह उम्मीद जगी है कि जल्द ही मामले का निराकरण हो जाएगा।

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