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नम्बरों से ज्यादा आपके बच्चों की जिंदगी हैं, कम नम्बरों के तनाव से आप भी बाहर निकलो व बच्चों को भी निकालो – रतन लाल डांगी, डीआईजी

रायपुर। परीक्षा परिणामों के आने का सिलसिला प्रारंभ हो गया है ऐसे में अभिभावकों के डर व परिणाम के तनाव में आकर छात्र कई गलत उठा रहे हैं ऐसे में डीआईजी रतनलाल डांगी ने जनता के नाम संदेश जारी किया है।

उन्होने कहा, प्रिय अभिभावकों एवं बच्चों, परीक्षाओं में सफल सभी छात्रों को बहुत बहुत बधाई ,उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं।
जब से 10 वी एवं 12 वी बोर्ड परीक्षा का परिणाम आया है कई परिवारों का माहौल तनावपूर्ण चल रहा हैं। न तो बच्चे खाना खा रहे और न ही माता पिता। हम कैसे मोहल्ले मे मुंह दिखाएंगे, कैसे आफिस मे कुछ बोल पाएंगे ,रिश्तेदार ताना मारेंगे, यह सब केवल तुम्हारी मक्कारी के कारण हुआ है ,अब तो शादी विवाह के कार्यक्रम मे जाने की भी इच्छा नहीं हो रही हैं ऐसे ऐसे ताने बच्चों को सुनने को मिल रहे है।

गली, मोहल्लों, किट्टी पार्टी, आफिस, चौक चौराहा पर एक ही चर्चा चल रही है फलां स्कूल का लड़का टाप आया हैं फलां का लड़का कुछ खास नहीं कर पाया हैं।न जाने क्या क्या चर्चाएं चल रही है।परिवार के लोगों व बच्चों के मन मे उधेड़ बुन चल रहीं है। माता-पिता, चाचा-चाची, दादा-दादी ,नाना -नानी सभी तनाव मे हैं। ऐसे सभी परिवारों से मेरा निवेदन है कि आप तनाव से बाहर आइए।यह परिणाम न तो प्रथम है और न ही आखिरी। जीवन मे बहुत बार ऐसे परिणाम आते रहेंगे ,तो क्या आप हर बार ऐसे ही तनाव मे जीते रहेंगे।

अंकों को लेकर न तो अभिभावकों मे और न ही छात्रों मे किसी प्रकार की हीन भावना आनी चाहिए।अभिभावकों को चाहिए कि उन्हें अपने बच्चों की तुलना अन्य बच्चों से नहीं करे। सब बच्चे एक जैसे नहीं हो सकते। दुनिया मे दो व्यक्ति एक जैसे नहीं होते। आपके बच्चे मे जो खासियत है वो उस बच्चे मे नहीं मिलेगी जिससे आप उसकी तुलना कर रहे है। उच्च अंक लाना ही कामयाबी है ऐसी धारणा गलत है। किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा मे नम्बरों से ज्यादा महत्वपूर्ण आपकी जिंदगी हैं। उच्चतम अंक लाना ही कामयाबी है,ऐसी धारणा गलत है।

किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा मे न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता चाहिए होती है न कि अधिकतम अंक । परीक्षा व साक्षात्कार में सामान्य समझ, वैचारिक स्पष्टता, विषयों की अच्छी सामान्य जानकारी। देश की सर्वोच्च परीक्षाओं मे चयनित अभ्यर्थियों का शैक्षणिक रिकॉर्ड देखिए अपवाद को छोडकर अधिकांशतः लोग स्कूल व कालेज में औसत से थोड़ा बहुत ही अधिक अंक वाले हैं। अति महत्वकांक्षा अवसाद को जन्म देती हैं।ज्यादा से ज्यादा अंक लाना है, पड़ौसी से ज्यादा, रिश्तेदार के बच्चों से ज्यादा ,उससे ज्यादा… इससे ज्यादा…

बच्चों पर मेहरबानी कीजिए। अच्छा करने कहिए लेकिन उसकी तुलना अन्य किसी से मत कीजिए इससे आपके बच्चे की रचनात्मक खत्म हो जाएगी। आपका बच्चा जीनियस है। वो जीवन मे ,जो आपने नही किया है उससे अच्छा करेगा। आपकी उम्मीद से ज्यादा करेगा। समाज केवल आइएएस/आईपीएस/डॉक्टर/इंजीनियर से ही नहीं चलता। बल्कि इनके अलावा भी बहुत है जिनकी समाज व देश को जरूरत है। बस आप बच्चों को प्यार दीजिए, उसका आत्मविश्वास बढाईये। सफलता उसका जन्मसिद्ध अधिकार है। जिसे कोई नहीं छीन सकता। बस आप साथ दीजिए।
जय हिन्द, जय भारत

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