रायपुरः छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर तुष्टिकरण को बढ़ावा देने और बहुसंख्यक समाज को उत्पीड़न कराने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बिरनपुर में भुनेश्वर साहू की नृशंस हत्या करने और इसके लिए उकसाने के मामले में जिन पर संविधान के तहत कार्रवाई होनी चाहिए, वे सरकार के संरक्षण में खुले घूम रहे हैं जबकि जो भुनेश्वर के लिए न्याय मांग रहे हैं, उन पर मुकदमा लादा जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार की इस तरह की कार्यवाई साबित कर रहा है कि सरकार द्वारा तुष्टिकरण की नीतियों के विरोध को कुचलने के लिए बहुसंख्यक युवाओं को प्रताड़ित किया जा रहा है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल सहित अन्य नेताओं के नेतृत्व में भाजपा ने पैदल मार्च निकालकर राजधानी के सिविल लाइन थाने में कांग्रेस के नेताओं, मंत्रियों, विधायकों के विरुद्ध हेट स्पीच के मामले में नामजद सप्रमाण शिकायत करते हुए 24 घंटे में उन सभी को नोटिस जारी करने की मांग की थी। भाजपा कार्यकर्ताओं को न्याय की मांग करने पर नोटिस जारी करने वाली पुलिस ने कांग्रेस नेताओं को एक हफ्ते बाद भी नोटिस जारी नहीं किया। बल्कि भाजपा कार्यकर्ता पर मुकदमा दर्ज कर दिया। यह सब सरकार के दबाव में हो रहा है। पुलिस दोहरा मापदंड दिखा रही है। न्याय मांगने पर दमन किया जा रहा है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि बिरनपुर में जेहादी उन्माद के शिकार युवक भुनेश्वर साहू के पिता के बयान पर संज्ञान लेते हुए मंत्री रविन्द्र चौबे के समर्थक पर हत्या के लिए उकसाने का प्रकरण दर्ज नहीं किया गया। सभी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई। मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर अमल नहीं किया गया। आखिर क्यों?क्या यह तुष्टिकरण नहीं है कि उन्मादी हिंसा के आरोपियों को सरकार संरक्षण दे रही है और न्याय मांगने वाले बहुसंख्यक समुदाय को प्रताड़ित किया जा रहा है?क्या यह भेदभाव नहीं है कि भाजपा कार्यकर्ताओं पर भुनेश्वर के लिए न्याय मांगने पर मुकदमा दर्ज किया जा रहा है और कांग्रेस नेताओं को हेट स्पीच की छूट है? क्या यह सत्य नहीं है कि भुनेश्वर साहू की हत्या के लिए उकसाने का आरोप उनके पिता ने मंत्री रविन्द्र चौबे के समर्थक पर लगाया है और अब तक उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई है?क्या बहुसंख्यक समुदाय में भय का वातावरण निर्मित कर दूसरे वर्ग को संविधानेत्तर संरक्षण देना संविधान का अपमान नहीं है?