
मिस्र में बहने वाली नील नदी के पश्चिम में स्थित एक मकबरे कूब्बत अल-हवा में 10 मगरमच्छों की ममियां मिली हैं। बताया जा रहा है कि मगरमच्छों की ये ममियां करीब 2500 साल पुरानी हैं। जो ममियां मिली हैं, वो 10 वयस्क मगरमच्छों की हैं। माना जा रहा है कि ये मगरमच्छ दो अलग-अलग प्रजातियों के हो सकते हैं।
प्राचीन मिस्र में प्रजनन के देवता सोबेक को खुश करने के लिए लोग मगरमच्छ चढ़ाते थे। क्योंकि मिस्र की पौराणिक कहानियों के मुताबिक सोबेक ऐसे देवता थे, जिनका सिर मगरमच्छ का था और शरीर इंसानों का। मिस्र में मगरमच्छ को पकवान के तौर पर भी देखा जाता था। इसके शरीर के अलग-अलग हिस्सों का अलग-अलग इस्तेमाल होता था। जैसे मगरमच्छ के फैट से दवाएं बनती थीं। जो शरीर के दर्द, अकड़न और गंजेपन के इलाज में इस्तेमाल होता था। मिस्र में इससे पहले इबिसेस, बिल्लियों और बंदरों के ममी मिल चुके हैं।
इससे पहले साल 2018 में भी मगरमच्छों की ममियां मिली थीं। लेकिन वो मगरमच्छ बेहद छोटे बच्चे थे। अब जो दस ममियां मिली हैं, उनमें से पांच के सिर्फ सिर वाले हिस्से बचे हैं। एक ऐसा है जो सात फीट लंबा है, और उसके शरीर का लगभग हर हिस्सा सही सलामत है। इन मगरमच्छों को रेज़िन से लिपटे हुए लिनेन कपड़े से लपेटा गया था। अब वैज्ञानिकों इन मगरमच्छों की स्टडी करने के लिए सीटी स्कैन और एक्स-रे का सहारा लेना पड़ेगा।
कुछ ऐसे भी मगरमच्छ मिले हैं, जिनके ऊपर रेज़िन नहीं लगा है। सिर्फ लेनिन कपड़े से लपेटे गए थे। उन्हें कीड़ों ने खाकर खत्म कर दिया है। अब वैज्ञानिकों के पास बड़ा काम ये है कि वो इनकी प्रजातियों का पता करेंगे। किस तरह से उन्हें मारा गया या जिंदा ही ममी बना दिया गया। यह पता करना है। फिलहाल जिन प्रजातियों को लेकर संभावना है वो हैं क्रोकोडाइलस सचस और क्रोकोडाइलस नीलोटिकस।