NEET UG Re-Exam: ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1563 छात्रों में से सिर्फ 813 छात्र ने दी परीक्षा, कई सेंटरों में नहीं पहुंचे एक भी विद्यार्थी…

NEET UG Re-Exam : NEET-UG में ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1563 छात्रों के लिए रविवार (23 जून) को पांच राज्यों के 7 सेंटरों पर दोबारा परीक्षा हुई। इसमें 813 ही छात्र शामिल हुए और 750 परीक्षा देने नहीं पहुंचे। 5 मई को हुई परीक्षा में हरियाणा के जिस झज्जर ने 6 टॉपर दिए थे, वहां 42% बच्चे री-नीट देने नहीं आए।कई सेंटरों पर तो एक भी बच्चे परीक्षा देने नहीं पहुंचे। एनटीए ने छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, मेघालय और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में सात परीक्षा केंद्र खोले थे।
ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1563 में 790 छात्र ऐसे हैं जो 5 मई की परीक्षा में ग्रेस मार्क्स मिलने के कारण क्वालिफाई हुए थे। हालांकि, NTA ने अभी यह नहीं बताया है कि री-नीट न देने वालों में ऐसे कितने हैं, जो पिछली बार बिना ग्रेस मार्क्स के क्वालीफाई हुए थे।
पुनः परीक्षा के दौरान कई ऐसे सेंटर थे, जहां एक भी छात्र परीक्षा देने नहीं पहुंचा। चंडीगढ़ में बने सेंटर पर दो अभ्यर्थियों को परीक्षा देनी थी, लेकिन दोनों ही इस परीक्षा में नदारद रहे। यह परीक्षा ग्रेस मार्क पाए अभ्यर्थियों के लिए आयोजित की गई थी। वहीं छत्तीसगढ़ के बालोद में बनाए गए परीक्षा केंद्र पर 185 अभ्यर्थियों को रीएग्जाम के लिए पहुंचना था, लेकिन यहां 70 अभ्यर्थी गैरमौजूद रहे। वहीं चंडीगढ़ से सामने आया है कि यहां सिर्फ दो अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा केंद्र बनाया गया था, लेकिन दोनों ही अभ्यर्थी एग्जाम सेंटर नहीं पहुंचे हैं।
सरकार ने उठाया बड़ा कदम
बता दें कि केंद्र सरकार ने NEET और UGC-NET परीक्षाओं में कथित अनियमितता को लेकर खड़े हुए विवाद के बीच भविष्य में पेपर लीक की घटनाओं को रोकने के लिए लेकर बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 को अधिसूचित किया, जिसका उद्देश्य देशभर में आयोजित होने वाले प्रतियोगी और सामान्य प्रवेश परीक्षाओं में फर्जीवाड़े को रोकना है।
देशभर में 5 मई को हुई थी नीट परीक्षा
NEET-UG की परीक्षा 5 मई को देशभर के 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी और इसमें करीब 24 लाख उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था। परीक्षा का परिणाम 4 जून को घोषित किया गया था, रिजल्ट 10 दिन पहले ही जारी कर दिया गया था। रिजल्ट के बाद पेपरलीक और गड़बड़ी के आरोप लगाए गए, क्योंकि 67 से अधिक छात्रों ने अधिकतम अंक प्राप्त किए, जिनमें से कुछ छात्र एक ही परीक्षा केंद्र के थे। पुलिस द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में बिहार में अनियमितताओं और पेपर लीक का मामला सामने आया। इसके साथ ही कुछ उम्मीदवार सार्वजनिक रूप से सामने आए हैं, उन्होंने दावा किया है कि उन्हें परीक्षा से एक दिन पहले ही पेपर मिल गया था। इन आरोपों के कारण कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए और कई उच्च न्यायालयों के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय में भी याचिकाएं दायर की गईं।
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